अग्नि पुराण | Agni Puran PDF in Hindi
PDF Name | अग्नि पुराण | Agni Puran PDF in Hindi |
Language | English |
Size | 58 mb |
Pages | 508 |
Published | 26-05-2022 |
Category | Spiritual |
Server | Google Drive |
Link | Available |
Tags | Stotra,PDF |
Source | Go PDF |
![agni puran pdf](http://gopdf.in/wp-content/uploads/2022/07/51Fiv6BCMeL._SX314_BO1204203200_.jpg)
अग्नि पुराण अति प्राचीन पुराण है। शास्त्रीय व विषयगत दृष्टि से यह पुराण बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण है। अग्नि पुराण में 12 हजार श्लोक, 383 अध्याय उपलब्ध हैं। स्वयं भगवान अग्नि ने महर्षि वशिष्ठ जी को यह पुराण सुनाया था। इसलिये इस पुराण का नाम अग्नि पुराण प्रसिद्ध है। विषयगत एवं लोकोपयोगी अनेकों विद्याओं का समावेश अग्नि पुराण में है। आग्नेये हि पुराणेस्मिन् सर्वा विद्याः प्रदर्शिताः (अग्नि पुराण) पद्म पुराण में पुराणों को भगवान बिष्णु का मूर्त रूप बताया गया है। उनके विभिन्न अंग ही पुराण कहे गये हैं। इस दष्ष्टि से अग्नि पुराण को श्री हरि का बाँया चरण कहा गया है। अग्नि पुराण | Agni Puran PDF in Hindi अग्नि पुराण में अनेकों विद्याओं का समन्वय है जिसके अन्तर्गत दीक्षा विधि, सन्ध्या पूजन विधि, भगवान कष्ष्ण के वंश का वर्णन, प्राण-प्रतिष्ठा विधि, वास्तु पूजा विधि, सम्वत् सरों के नाम, सष्ष्टि वर्णन, अभिषेक विधि, देवालय निर्माण फल, दीपदान व्रत, तिथि व्रत, वार व्रत, दिवस व्रत, मास व्रत, दान महात्म्य, राजधर्म, विविध स्वप्न, शकुन-अपशकुन, स्त्री-पुरूष के शुभाशुभ लक्षण, उत्पात शान्त विधि, रत्न परीक्षा, लिंग का लक्षण, नागों का लक्षण, सर्पदंश की चिकित्सा, गया यात्रा विधि, श्राद्ध कल्प, तत्व दीक्षा, देवता स्थापन विधि, मन्वन्तरों का परिगणन, बलि वैश्वदेव, ग्रह यंत्र, त्र्लोक्य मोहनमंत्र, स्वर्ग-नरक वर्णन, सिद्धि मंत्र, व्याकरण, छन्द शास्त्र, काव्य लक्षण, नाट्यशास्त्र, अलंकार, शब्दकोष, योगांग, भगवद्गीता, रामायण, रूद्र शान्ति, रस, मत्स्य, कूर्म अवतारों की बहुत सी कथायें और विद्याओं से परिपूर्ण इस पुराण का भारतीय संस्कष्त साहित्य में बहुत बड़ा महत्व है। पुराणोंके 5 लक्षण बताये गये हैं- १. सृष्टि-उत्पत्ति वर्णन, २. सृष्टि-विलय वर्णन, ३. वंश परम्परा वर्णन, ४. मन्वन्तर वर्णन और ५. विशिष्ट व्यक्ति चरित्र वर्णन. पुराणके पाँचों लक्षण तो अग्नि-पुराणमें घटित होते ही हैं, इनके अतिरिक्त वर्ण्य विषय इतने विस्तृत हैं कि अग्निपुराणको ‘विश्वकोष’ कहा जाता है। प्राचीन-काल में न तो मुद्रण की प्रथा थी और न ग्रन्थ ही सहज सुलभ होते थे। ऐसी परिस्थिति में विविध विषयों के महत्त्वपूर्ण विवेचन का एक ही स्थान पर एक साथ मिल जाना, यह एक बहुत बड़ी बात थी। इसी कारण अग्निपुराण बहुत जनप्रिय और विद्वद्वर्ग समादृत रहा।
1.अग्नि पुराण | Agni Puran PDF in Hindi
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